04/02/2011

फिर से मिल जाये संयुक्त परिवार

गूगल से साभार
सच पूछो तो जीवन में बस प्यार ही प्यार था
जब हमारे समाज में संयुक्त परिवार था
दादा-दादी, चाचा-चाची
ताऊ-ताई, बहन-भाई
किसी एक की खुशी में पूरे परिवार का चेहरा खिलता था
और हर एक बच्चे को कई मांओं का प्यार मिलता था
जब घर का कोई सदस्य बीमार हो जाता था
तो पूरा परिवार उसकी सेवा में लग जाता था
चारों तरफ खुशियां ही खुशियां नजर आती थी
और कोई रुठ जाये तो दादी कितने प्यार से मनाती थी
बच्चों का लडना, झगडना, फिर एक थाली में बैठकर खाना
और बहुओं का बारी-बारी से मायके जाना
पूरा का पूरा परिवार एक ही छत के नीचे पलता था
हँसते खेलते कब बडे हो गये पता ही नहीं चलता था
परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे के लिये जीते थे
एक दूसरे के लिये मरते थे
और जितना प्यार पत्नी को
उतना ही प्यार माँ-बाप को करते थे
लेकिन आज के एकल परिवार में
पिता रात को काम से आते हैं
और उनके आने से पहले
बच्चे खा-पी कर सो जाते हैं
दोपहर में बच्चे स्कूल से आकर शाम तक
मम्मी के ऑफिस से आने का करते हैं इंतजार
बच्चे नहीं जानते क्या होता है दादा-दादी का प्यार
बच्चे नहीं जानते चाचा-चाची का दुलार
काश बच्चों को फिर मिल जाये वो मजबूत आधार
काश बच्चों को फिर मिल जाये संयुक्त परिवार
संयुक्त परिवार, संयुक्त परिवार 

यह रचना मुझे कहीं से एक कागज पर लिखी मिली है, नीचे नाम रसिक गुप्ता  (9312000354)  है।  मैनें फोन पर उनसे अनुमति लेने की कोशिश की थी, लेकिन सम्पर्क नहीं हो सका। उनसे बिना अनुमति लिये यहां आप तक पहुँचा रहा हूँ। आपको पसन्द आयी है तो आप उनको फोन या sms द्वारा साधुवाद दे सकते हैं।
रचनाकार या किसी को भी आपत्ति होने पर क्षमायाचना सहित हटा दी जायेगी।
अन्तर सोहिल का प्रणाम

17 टिपण्णियां:

Sushil Bakliwal said...

कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन....

समय चक्र said...

ओह संयुक्त परिवार की कल्पना करना ही रह गया है ... मंहगाई और ओर्जगार संबंधी अन्य कारणों से संयुक्त परिवार टूट रहे हैं ....

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

रचना सुन्दर है ... पढवाने के लिए शुक्रिया !

Arvind Mishra said...

अब तो यह स्वप्न ही लगता है ...

शूरवीर रावत said...

संयुक्त परिवार पर यह पोस्ट बेहतर पसंद आयी भाई अंतर सोहिल जी, ......... कविता भले ही गुप्ता जी की हो किन्तु प्रकाश में लाने का श्रेय तो आपको ही जाता है न !..... अब न संयुक्त परिवार रहा और न घर आँगन ही. न प्यार स्नेह ही और न सकून, एकल परिवार से जिस तरह के परिवार बन रहे हैं उनमे न चाचा-ताऊ, न मौसा-मौसी, न देवरानी- जेठानी और न आस पास के रिश्ते ही. ........ अब आप ही बताईये किआगे क्या होगा अंतर जी.

समय मिले तो http;//baramasa98.blogspot.com भी देखें और मार्गदर्शन अवश्य करना चाहें और हो सके तो अनुसरण करने का कष्ट करें. अनेकानेक शुभकामनाओं सहित

महेन्‍द्र वर्मा said...

mujhe khushi hai ki hamara pariwar sanyukt pariwar hai.

Sunil Kumar said...

रचना , पढवाने के लिए शुक्रिया

शिवम् मिश्रा said...


बेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !

आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - मेरे लिए उपहार - फिर से मिल जाये संयुक्त परिवार - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

Manoj Kumar said...

साधू! साधू!! संयुक्त परिवार . ऐसा लगा जैसे विलुप्त होती किसी मजबूत संस्था को पुनः वापस लाने का प्रयास किया गयो हो. सुन्दर रचना. धन्यवाद.

राज भाटिय़ा said...

वेरी बेड जी..... कल से १० बार आप का यह सुंदर लेख पढा, ओर बहुत ही पसंद भी आया, लेकिन टिपण्णी न्जा दे सका, पहली बार जब टिपण्णी देने लगा उस समय सिर्फ़ तीन टिपण्णियां थी, तभी बीबी चाय ले आई, फ़िर टिपण्णी देने लगा तो फ़ोन आ गया, फ़िर टिपण्णी देने लगा तो पेट मे दबाब बढ गया, अब १० नम्बरी बन के यह टिपण्णी दे रहा हुं बहुत ही सुंदर लेख, काश फ़िर से ऎसा हो जाये

उपेन्द्र नाथ said...

संयुक्त परिवार का बहुत ही सुंदर ख्याल है...........जिसने भी लिखा होगा सार्थक प्रयास है.........

ZEAL said...

संयुक्त परिवार पर एक बेहतरीन रचना ।

एस एम् मासूम said...

सुंदर रचना

निर्मला कपिला said...

वक्त आयेगा जब लोग संयुक्त परिवार का महत्व समझने लगेंगे।अज की पीढी जब बुढापे मे खुद की अवहेलना देखेगी तो समझ जायेगी। शुभकामनायें।

रोशन साहू मोखला said...

बड़ निक लागिस हे मोला येदे बड़े भैया के गोठ ग।

EE HINDI said...

AApka post bahut informative hai, aise hi jaankaari post karte rahen,
Hindi main Electrical & Technology ke liye hmare blog par aayen.
https://www.eehindi.com/

EE HINDI said...

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